संक्षिप्ति क्या है? परिभाषा, उदाहरण, विशेषताएँ, प्रक्रिया इन सभी को बताया गया है। इस पोस्ट में संक्षिप्ति (Abbreviation) क्या है ? संक्षिप्ति किसे कहते है ? संक्षिप्ति परिभाषा लिखिए। संक्षिप्ति उदाहरण बताइए। संक्षिप्ति की विशेषताएँ लिखिए। संक्षिप्ति निर्माण की प्रक्रिया समझाइए। संक्षिप्ति किस प्रकार बनाई जा सकती है? इन प्रश्नो के भरे में पढ़ेंगे। Sankshipti kya hai ?, Sankshipti ki Visheshta
प्रश्न 1. संक्षिप्ति का उदाहरण देते हुए परिभाषा लिखिए।
“अथवा”
संक्षिप्ति क्या है?
उत्तर :- संक्षिप्ति शब्द- प्रकरण का एक भाग है तथा इसका अर्थ शब्दों के संक्षिप्त रूपों से है। संक्षिप्ति का कोशगत अर्थ अल्पाक्षर, शब्द संक्षेप, शब्द संकेत, संकेत चिन्ह है। इसका प्रयोग संकेत-अक्षर के अर्थ में भी किया जाता है। संक्षिप्ति अंग्रेजी शब्द Abbreviation (एबीवियेशन) का हिन्दी अनुवाद है। संक्षिप्ति शब्दों के संकेत या चिन्ह हैं जो कालान्तर में अपने आप में शब्दों की तरह प्रयक्त होते हैं। ये इतने सर्वमान्य, प्रचलित, लुभावने और सुविधाजनक होते हैं कि लोगों द्वारा इनके शब्द प्राय: भुला दिये जाते हैं, जैसे-समय के लिये अंग्रेजी में AM (प्रात:) तथा PM (शाम)। इसी प्रकार की संक्षिप्तियाँ बी.ए., एम.ए. भेल, द्रमुक, यूजीसी, नाटो, सी.पी.एम., सी.पी.आई., सी.आई.ए, जी.पी.ओ., सीजे, सी.आई.डी., टी.ए.डी.ए., टी.वी. आदि हैं। ध्यान रहे कि संक्षिप्ति में संक्षेप चिन्ह ( .) धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है और संक्षिप्ति अपने आप में एक स्वतंत्र शब्द बन जाता है जो अपने मूल शब्द के अर्थ को सम्पूर्णत: वहन और व्यक्त करता है।
प्रश्न 2. संक्षिप्ति के दो प्रमुख रूप उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर :– संक्षिप्ति के रूप
संक्षिप्ति को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है –
1. मौखिक संक्षिप्ति 2. लिखित संक्षिप्ति।
मौखिक संक्षिप्ति में संक्षिप्ति का जो रूप बोलचाल में रहता है वह उसी रूप में लिखा जाता है, जैसे-भेल, द्रमुक, यूजीसी, जेपी, किन्तु लिखित संक्षिप्ति में जो लिखा जाता है वह वैसा पढ़ा नहीं जाता अपितु उसका मूल शब्द ही पढ़ा या बोला जाता है। जैसे –
- भोविप्र (भोपाल विकास प्राधिकरण)
- वि.वि. (विश्व विद्यालय)
- नि.प्र. (निजी प्रतिनिधि)
- क्रि.वि. (क्रिया विशेषण)।
प्रश्न 3. संक्षिप्ति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :–
संक्षिप्ति की विशेषताएँ –
- संक्षिप्ति एक स्वतंत्र शब्द है।
- यह अपने आप में पूर्ण है।
- संक्षिप्ति मूल शब्द के अर्थ को वहन और व्यक्त करता है।
- संक्षिप्ति मूल शब्द का संकेत चिन्ह है तथा मूल शब्द की पहचान है।
- संक्षिप्ति सुविधा एवं सरलता की उपज है।
- संक्षिप्ति में मुख-सुख निहित है।
प्रश्न 17. संक्षिप्ति निर्माण की प्रक्रिया समझाइए।
“अथवा”
संक्षिप्ति किस प्रकार बनाई जा सकती है? इसके कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर :– संक्षिप्ति बनाने के तरीके –
- जिस शब्द की संक्षिप्ति बनाई जाये उसके सम्पूर्ण अर्थ एवं संदर्भ हमें ज्ञात होना चाहिये।
- संक्षिप्ति प्रायः शब्दों के अद्याक्षरों से बनती है जिसमें प्रारम्भ का वर्ण किया जाता है।
- संक्षिप्ति में संक्षेप चिन्ह (.) का बाद में धीरे-धीरे लोप हो जाता है या कर दिया जाता है, जैसे द.क्षे.स. या दक्षेस (दक्षिणी क्षेत्रीय संगठन)।
- संक्षिप्ति बनाते समय इस तथ्य का ध्यान रखना चाहिए कि उनमें किसी प्रकार की अशिष्टता, मजाक या अतिरिक्त संदर्भ न हो तो जुड़े, न ही ध्वनित हों।
- संक्षिप्ति महज ही समझ में आने वाली होना चाहिये।
संक्षिप्तियों के कुछ उदाहरण :-
- कृ.प.उ. (कृपया पन्ना उलटिये)
- ह. (हस्ताक्षर)
- स.ही. वातास्यायन (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन)
- मा.शि.मं. (माध्यमिक शिक्षा मंडल)
- 11 वीं (ग्यारहवीं)
- जन. (जनवरी)
- मर्या. (मर्यादित)
- रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून)
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